इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी Poem by Rashmi Singh

इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी

Rating: 5.0

आज फिर हार गए हम इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी में,
आपको नहींमालूम जो, ऐसे काफ़ी हैं फ़साने ज़िन्दग़ी में।
वैसे तो जीने के लिए एक नहीं, हैं कई बहाने ज़िन्दग़ी में।
लेकिन नाजाने क्यों गुमसुम से हैं तराने ज़िन्दग़ी में।
आज फिर हार गए हम इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी में।

ख़ुदा की ख़ुदाई भी रुसवा हुई यूँ,
कि भूल ही बैठे हम
ख़ुद के अफ़साने ज़िन्दग़ी में।
ख़ुशी का मुखौटा पहने दस्तक हैं देते,
कितने ही गम नाजाने ज़िन्दग़ी में
आज फिर हार गए हम इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी में।

सुनना चाहें अगर आप तो कहें,
फुर्सत से कभी सुनाएँगे,
कि कम नहीं हैं फ़साने ज़िन्दग़ी में।
अभी भी है कुछ ज़िन्दग़ी बची,
अभी भी हैं कुछ शौक आज़माने ज़िन्दग़ी में ।

ये तो जंग है हर दिन की, हर पल की।
इस जंग के घाव और दर्द के राज़
एक मुस्कान से हैं छुपाने ज़िन्दग़ी में।
हर पल हर दिन की इस जंग से दूर,
हमने फिर भी हैं कुछ रंग डाले ज़िन्दग़ीमें ।
हम हैं वो, जो हार कर भी कभी हार ना मानें ज़िन्दग़ी में ।

इंतिहा तो कबके हो हीचुकी,
बसकिसी तरह से कोशिशें करके,
खुदको अब तक हैं सम्भाले ज़िन्दग़ी में।
इंतज़ार है उस दिन का जब ये ना कहना पड़े.....

कि आज फिर हार गए हम इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी में।

-रश्मि स्वर्णिका

इम्तिहान-ए-ज़िन्दग़ी
Sunday, December 3, 2017
Topic(s) of this poem: hope,life,struggle
COMMENTS OF THE POEM
Keshav 03 December 2017

Intezar hai us din ka... Outstanding

2 0 Reply
Rashmi Singh 07 July 2018

Thank you everyone for appreciating my poem.

0 0 Reply
Rajnish Manga 07 February 2018

अद्वितीय अभिव्यक्ति. जो लोग मुश्किलों से भागते नहीं बल्कि हिम्मत से उनका सामना करते हैं और जीवन को सार्थक बनाने की कोशिश करते हैं, यह कविता ऐसे ही किसी उत्साही की दास्तान मालूम होती है. हार्दिक धन्यवाद. कविता की एक पंक्ति: हम हैं वो, जो हार कर भी कभी हार ना मानें ज़िन्दग़ी में ।

0 0 Reply
Kumarmani Mahakul 03 December 2017

This is war in life in every day at each moment to face obstacles and come up. Recovery gives effect of winning. An amazing, thought provoking and thoughtful poem is beautifully penned.10

3 0 Reply
Rashmi Singh 04 December 2017

Thank you very much for the appreciation, sir. Your words are inspiration.

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Shruti pandey 03 December 2017

V nice

2 0 Reply
Shruti pandey 03 December 2017

Amazing poem

3 0 Reply
Rashmi Singh 04 December 2017

Thank you.

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