आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
उस खिलोने के लिए तुमसे हट करना...
जिद्द करना उस मिश्री की ग्लोई के लिए...
नंगे पैर रेट पर दौड़ना...
और मिट्टी के विशाल महल बनाना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
रात के डेढ़ बजे दरवाज़ा खटखटाना...
एक हात तुम्हारे नीचे रख कर सोना...
हट करके वो लोरी सुनना
और तुम्हारे आँचल तो चादर बनाना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
रोकर हासिल करना हर जीत...
फिर चाहे वो एक गुड़िया हो या स्वयं चन्द्रमा
छोटी सी उन खुशियों में खो जाना...
फिर चाहे वो गुब्बारा, पतंग हो या लट्टू
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
उन्ही मदमस्त किलकारियों में खो जाना...
चिंतारहित पूरे दिन खेलना...
पंछियों की तरह खुले गगन में
स्वतंत्रता की एक लम्बी उड़ान लेना
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
दुनिया की इस होड़ को भूल जाना..
और चैन की दो साँसे लेना...
प्रथम- द्वितीय, कॉलेज -दफ्तर भूलकर..
आठ घंटे की प्यारी सी नींद लेना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
लड़कपन के उन खिलौनों से,
एक बार फिर दिल बहलाना
बचपन के उन दोस्तों का..
फिर एक बार जमघट बैठाना|
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
गिल्ली डंडे के खेल खेलना...
कब्बड्डी में औरों को धुल चाटना
पेड़ों से वो आम तोड़कर खाना...
और बर्फ़ के गोले की चुस्कियां लेना..
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
चवन्नी अठ्ठनी के टीले बनाना...
पानी में पैर छपछपाना...
बंदरों के नाटक देखना...
घोड़े गाड़ी पर सैर करना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
खो जाना उस परियों के जहां में...
जहां एक राजकुमार आपके इंतज़ार में हो...
जहाँ कोयल की गीत से सवेरा हो...
और जुगनुओं की दमक से रातें हों...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
उस पालने में झूला झूलना...
गुड्डे गुड्डी के ब्याह रचना...
माँ की गोद में सर रख,
सारा जहां पा जाना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
भूल जाना सारी उन बातों को...
जिसमे बचपन की वो किलकारी नहीं
भूल जाना हर दुःख हर उस दर्द को...
जिसने हर पल जीना किया था भारी
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
सारे बन्धनों से मुक्त हो जाना...
हर कर्तव्य को पल भर के लिए भूल जाना
एक लम्बी सांस लेना...
और सुनहरे अतीत को फिर से जी लेना...
आज जी चाहता है...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
फिर एक बार बच्चा बन जाना...
~वशिता मूंधड़ा
१८/०५/२०१२
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सारे बन्धनों से मुक्त हो जाना... हर कर्तव्य को पल भर के लिए भूल जाना एक लम्बी सांस लेना... और सुनहरे अतीत को फिर से जी लेना... ज जी चाहता है... फिर एक बार बच्चा बन जाना... What a lovely wish, yes childhood is amazing and never forgotten.