"मैं आज की नारी हूँ"
मैं शेरनी हूँ, दुर्गा हूँ, सरस्वती हूँ, लक्ष्मी हूँ,
पर साथ में एक "नारी" हूँ।।
जिसे अपने होने का कोई अभिमान नहीं होता,
मैं मौन हूँ, शाश्वत सत्य हूँ,
शायद तुम्हारे लिये लाचार हूँ।।
और एक उदाहरण हूँ तुम जैसों के लिये,
कि मैं कुछ नहीं कर सकती हूँ ।।
पर मुझे "अबला नारी" समझने वालों,
मुझ पर गंदी सोच रखने वालों।।
मैं तुम्हारी बोलती बंद कर सकती हूँ,
किया हैं, करके दिखाऊँगी,
तुम जैसों की बोलती बंद कर जाऊँगी।।
मत समझ मुझे "अबला नारी",
मैं दुर्गा बन कर दिखाऊँगी।।
चूल्हा-चौका, बर्तन के साथ, मैं हवाई जहाज भी चलाऊँगी।।
कदम से कदम ऐसे मिलाऊँगी,
तुमसे आगे बढ़कर दिखाऊँगी।।
मैं नारी हूँ "आज की नारी",
तुम पर भारी पड़ जाऊँगी।।
मैं कोई निर्भया नहीं जो अब मारी जाऊँगी,
मैं धर प्रचंड रूप चंडी का,
दुष्टो के सर की भेंट चढाऊँगी।।
अगर तुम रखोगे मुझे प्रेम से,
मैं लक्ष्मी बन जाऊँगी,
बन के फूल, तुम्हारे घर को महका जाऊँगी।।
वर्ना बन "काली",
तुम्हारा विनाश कर जाऊँगी,
जलाकर तुम्हारे घर को खाक कर जाऊँगी।।.
क्यूंकि मैं नारी हूँ, आज की नारी
एक प्यारा सा एहसास - शरद भाटिया
मैं नारी हूँ " आज की नारी" / तुम पर भारी पड़ जाऊँगी।। अगर तुम रखोगे मुझे प्रेम से / मैं लक्ष्मी बन जाऊँगी, वरना बन काली / तुम्हारा विनाश कर जाऊँगी.... //.... हमारे सामाजिक ताने बाने, जिसमे नारी को अक्सर बराबरी की नज़र से नहीं देखा जाता, पर एक विवेचनात्मक दृष्टि तथा अपने अधिकारों के प्रति नारी की जागरूकता का चित्र. बहुत सुंदर. धन्यवाद.
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Every woman will admire your pleasent piece of work. Indeed today's woman is much beautiful and brilliant. Admirations.