नाराज़होतेहैं वो
हमारी नादान हरकतों से
कुछ दिन की ज़िन्दगी है!
काश जी लेते साथ में
नादान से हमारे इश्क़ को
हाँ नासमझ हैं हम
समझ होती तो सौदागर जो होते
मासूम आँखों में शरारत
अनकही सी बातें
अधूरा एहसास गहरी सी दोस्ती
दोस्ती से थोड़े कम या....! !
उँगलियों की छुअन
झूठ का रूठना
मनाने का इंतज़ार
मीठी जलन
गुलाब की खुशबू
गीतों की मखमली फुहार
बचपन की यादें
दिल का धड़कना, उनकी याद का सजदा
पागलपन, जूनून, ना बंधन ना मजबूरी
समझदारी की वो सौतन......!
मगर रहने भी देते हैं कुछ बातें अनकही
कुछ जवाब हमारी नादानी और आपकी समझदारी में अटके से
Anita Sharma
Topic(s) of this poem: lost,love,saddened