शिकायतों का दौर
शिकायतों का दौर यूँही चलता जा रहा है,
कुछ तुम कहती हो, कुछ मैं कहता और यह दौर यूँही बढ़ता जा रहा हैं ।।
अब बस यह एक गठरी बनता जा रहा है,
शिकायतों का दौर यूँही चलता जा रहा है।।
Thankyou, उन शिकायतों को क्यूंकि इस बहाने,
हम तुम एक दूसरे से बात तो करते हैं।।
शायद यह वहीं शिकायत ही तो है,
जो हमे एक दूसरे से जुड़े रहने का भरपूर प्रयास करती है।।
जब उन शिकायतों की गठरी लेकर हम दोनों बूढे हो जायेगे,
फिर गठरी खोल करहम एक दूसरे को अपनी शिकायत सुनायेंगे।।
एक शिकायत तुम सुनाना, एक शिकायत मैं सुनाऊँ,
बस बुढ़ापे मे शिकायतों का पुलिंदा यूँही कम करते जायेगे।।
एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)
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Bahut khoob. Zindagi to behtar banane ka. Bahut khoob.