ना उम्मीद करते हैं ना इंतज़ार करते हैं Poem by M. Asim Nehal

ना उम्मीद करते हैं ना इंतज़ार करते हैं

Rating: 5.0

ना उम्मीद करते हैं ना इंतज़ार करते हैं
वो तो बस तुमसे प्यार करते हैं

अश्क़ जो कभी आँखों में आ जाये
उन्हें पोछ लेते है ना इज़हार करते हैं

जागते रहते हैं अक्सर रातों में
चाँद सितारों से बात करते हैं

इस तरहजीते हैं अपनी ज़िन्दगी
की दुआओं में तुझे शुमार करते हैं

अपने वजूद की उन्हें फ़िक्र नहीं
बस तेरे होने पे जां निसारकरते हैं

वो कहते तो किसीसे कुछ भी नहीं
बस करते हैं तो कमाल करते हैं

ना उम्मीद करते हैं ना इंतज़ार करते हैं
वो तो बस तुम से प्यार करते हैं

Wednesday, November 28, 2018
Topic(s) of this poem: love
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 29 November 2018

Without being late expressing love is nice attitude. An interesting poem is very beautifully penned. Revisiting this we feel glad.

1 0 Reply
Kumarmani Mahakul 29 November 2018

जागते रहते हैं अक्सर रातों में चाँद सितारों से बात करते हैं इस तरहजीते हैं अपनी ज़िन्दगी की दुआओं में तुझे शुमार करते हैं....nice poetic expression. A beautiful poem so nicely executed.10

1 0 Reply
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