सिद्धि Poem by Vibhor Jain

सिद्धि

स्वाभिमान से शून्‍य तक, उन्माद से शांति तक
मिथ्या ओर सत्य का भेद जानकर, निजता से जन-कल्याण तक
मृत्यु को ही सत्य मानकर, व्यर्थ की चर्चा से आत्मचिंतन तक
सम्मान का मोह ओर अपमान का डर छोड़कर, मूर्ति पूजा से ध्यान तक
की यात्रा ही सिद्धि है|

Thursday, April 25, 2019
Topic(s) of this poem: meditation,perfection,truth
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