चलते रहे हम बचा कर दामन को इन कांटो से
फूल मिला और ख़ुश्बू के सिवा कुछ न मिला
अँधियों से बच कर दीपक को जलाये रखा हमने
कुछ रौशनी और फिर भुझी हुई बाती के सिवा कुछ न मिला
ख़ुशी के पल संजोह कर रखना चाहा सदा हमने
थोड़ी हंसी और फिर आंसुओं के सिवा कुछ न मिला
बेवजह जिस्म को सजाते रहे हम रूह गर्दनी किया
थोड़ी तवज्जो और फिर ख़ाक के सिवा कुछ न मिला
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