हरितवर हरित सरसित वर्षित फुहार रे,
चलो चलो आज झूलें कदम्ब डाल रे।
यमुना तीर विराजित कृष्ण मनमोहन रे,
वँशी धुन अलापत, हेरत दृग बटोरन रे।
नील गगन नीलवर श्याम नील यमुना रे,
इन्द्रधनुष रंग सरसत आनंद चौगुना रे।
बालसखा मिलि सब झूलावैं श्रीमुरारी रे,
ताकत एकटक सब जनु चँद चकोरी रे।
चलो चलो हम अगवानी करें श्रावण रे,
'नवीन'लखत शोभाकर काम लजावन रे।
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