मां मुझे डर लगता है Poem by indu rinki verma

मां मुझे डर लगता है

Rating: 4.8

मां मुझे डर लगता है.... बहुत डरलगता है....सूरज की रौशनी आग सी लगती है....
पानी की बुँदे भी तेजाब सी लगती हैं....
मां हवा में भी जहर सा घुला लगता है....मां मुझे छुपा ले बहुत डर लगता है....
मां याद है वो काँच की गुड़िया, जो बचपन में टूटी थी....
मां कुछ ऐसे ही आज में टूट गई हूँ....
मेरी गलती कुछ भी ना थी, माँ फिरभी खुद से रूठ गई हूँ....
माँ बचपन में स्कूल टीचर की गन्दी नजरों से डर लगता था....
पड़ोस के चाचा के नापाक इरादों से डर लगता था...
माँ वो नुक्कड़ के लड़कों की बेवकूफ बातों से डार लगता है....और अब बोस के वह शी इशारों से डरलगता है....
मां मुझे छुपा ले, बहुत डर लगता है....
मां तुझे याद है तेरे आँगन मेंचिड़ियासी फुदक रही थी....
ठोकर खा के में जमीन पर गिर पड़ी थी....
दो बूंद खून की देख के माँ तू भीरो पड़ी थी....माँ तूने तो मुझे फूलों की तरह पाला था....
उन दरिंदों का आखिर मैंने क्याबिगाड़ा था....
क्यों वो मुझे इस तरह मसल के चले गए है....बेदर्द मेरी रूह को कुचल के चले गए....
मां तू तो कहती थी अपनी गुड़िया को दुल्हन बनाएगी....मेरे इस जीवन को खुशियों से सजाएगी....
माँ क्या वो दिन जिंदगी कभी ना लाएगी....
माँ क्या अब तेरे घेर बारात ना आएगी? ? ? ? ?
माँ खोया है जो मैने क्या फिर से कभी ना पाउंगी? मां सांस तो ले रही हु....
क्या जिंदगी जी पाउंगी? मां घूरते है सब अलग ही नज़रों से....
मां मुझे उन नज़रों से छूपा ले....
माँ बहुत डर लगता है मुझे आंचल में छुपा ले........
~इंदु~

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
i wrote this poem on delhi rape case....
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 08 November 2023

The present situation of the society has been so nicely and touchingly executed. Five stars. Thanks for sharing here.

0 0 Reply
Jazib Kamalvi 02 November 2017

A sublime start with a nice poem, Indu. You may like to read my poem, Love And Lust. Thank you.

3 1 Reply
Bhavna Singh 16 January 2014

buhat aacha likhi ho aap...har ek poem me ek msg hota hai...apki har poetry dil ko chhu jati hai

3 1 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success