आँधी Poem by KAUSHAL ASTHANA

आँधी

आँधी तूने
महफूज़ रखे सबके घर
क्या खता थी मेरी
घर उजाड़ने आयी |

घटाये घिरी बरसी
सभी के आँगन में
निहारता रहा बादलो को
एक बूँद न आयी |

मधुमास सबके लिये
ख़ुशियाँ बिखेरता आया
मेरा जीवन बना
पतझड़ क्यो दुःखदायी |

हम सफर सबके
उनके साथ रहे
कहा चले गए तुम
काट रहा तन्हाई |

गमों का सिलसिला
रुकता नही कौशल
क्या करे मन, उदास
आँखें भर आयी |

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