कसम तो हम ने खायी थी
साथ चलना आप के साथ
कस्मे ना टूटे हम से कभी
दिल पे बसी थी इतनी सी बात ।।
खुद सम्हालकर काँटों को
आप को चाहा मिले फूल
जगा दी थी दिलों में हम ने
आप की तक़दीर गले पे अटक गई ।।
वादें हम तोड़ते तोः सायद
ज़िंदगी भर पछताते हम
आप ने ही रास्ता मूड़लिया
तक़दीर जो हमारे साथ था ।।
.....
(sg anyol) (04/06/2015)
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem