रिस्ते Poem by Sursen Gaunle Anyol

रिस्ते

कसम तो हम ने खायी थी
साथ चलना आप के साथ
कस्मे ना टूटे हम से कभी
दिल पे बसी थी इतनी सी बात ।।
खुद सम्हालकर काँटों को
आप को चाहा मिले फूल
जगा दी थी दिलों में हम ने
आप की तक़दीर गले पे अटक गई ।।
वादें हम तोड़ते तोः सायद
ज़िंदगी भर पछताते हम
आप ने ही रास्ता मूड़लिया
तक़दीर जो हमारे साथ था ।।
.....
(sg anyol) (04/06/2015)

Thursday, June 11, 2015
Topic(s) of this poem: myself
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Sursen Gaunle Anyol

Sursen Gaunle Anyol

Pokhara, Nepal
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