सवालों के सवाल 2 Poem by Ashq Sharma

सवालों के सवाल 2

चलो आज फिर से तुम्हे भूलने की कोशिश करते है,
अकेली शामो में,
खामोश कोहरे को,
हलके कदमो से आहट देने की मंजूरी देते है,
बिना वजह, यूं ही
आसमानों में सितारों के गुनगुनाने की आवाज सुनते है,
भरे शहर में,
भीड़ में खो कर कही,
चलो आज अपनी अलग पहचान ढूंढते है,
वो गरीब,
जो कल भी इतना ही भूखा था,
उसकी मुस्कराहट की वजह पूंछते है।
मेरे गाँव की,
उस बूढी औरत के,
अनबूझे गीत के बोल अपनी रूह के करीब आने देते है,
पड़ोस की मुंडेर में बैठे,
उन अजनबी पंछियों की,
बातों को सुनते सुनते खो जाते है,

चलो फिर से कुछ सवालो के जवाब ढूंढते है,
चलो आज फिर से तुम्हे भूलने की कोशिश करते है।।।।।।।।

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