मै असत्य का पालनकर्ता 2 Poem by Ashq Sharma

मै असत्य का पालनकर्ता 2



बोझिल पलकें लेकर अपनी, साँसे गिनता रहता हूँ.
सागर नहीं साथ मेरे पर, ख़ुद ही बहता रहता हूँ..
मै निर्जीव निकम्मा ना हूँ, और ना ही दास किसी का.
फिर भी वो जो कहते हैं, मै सब कुछ सहता रहता हूँ..

भीगे ख्वाबों को ले कर यूँही, सदा सदा चलता रहता......
मै असत्य का पालनकर्ता.............................................

COMMENTS OF THE POEM
Ashish Sharma 20 August 2013

Thanks Again Getha ji! !

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Geetha Jayakumar 19 August 2013

Great Poem. Loved reading it.

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