कितने डरे हुए हो 23.2.16—7.51 AM
कितने डरे हुए हो कितने सधे हुए हो
मौत का जो डर है कितने मरे हुए हो
ये पूजा ये पाठ ये संध्या का साथ
ये मन्त्रों का जाप करो दो दो हाँथ
ये मंदिर गुरूद्वारे मस्जिद की इशारे
तेरे होने का तरीका बैठे रहो किनारे
इनमें भगवान नहीं डर निवास करता है
इंसान नहीं एक डर फरियाद करता है
साँस तो लेता है पर बार बार मरता है
बक्श दे दाता सच से इंकार करता है
तुम्हारी सारी गतिविधियाँ
तुम्हारी पूजा ऋद्धि सिद्धियां
तुम्हारा लाखों के आडम्बर
तुम्हारी दिखावे के बवंडर
तुम्हारे जोग पूजा स्नान
जो तुम करते हो सम्मान
तुम्हारा झूठा है आभार
चाहे करते रहो दिन सार
ये मन्दिर गुरूद्वारे तुमने जाने नहीं इशारे
फर्क नहीं पड़ता चाहे मर्जी करो फव्वारे
अपने पिता से रोज क्या ऐसे मिलते हो
चक्की पीसी गलतियां उधेड़ सिलते हो
मिलेगा वही जिसपर ध्यान सदा होगा
जिसको ध्याया है वही तो फ़िदा होगा
तुम तो अपनी गलतिओं से मिलने जाते हो
छोटे होते जाते हो फिर बौने होकर आते हो
एक अदने से अफसर से मिलकर आते हो
कितना गुनगुनाते हो और ख़ुशी जताते हो
प्रभु से मिलकर आये फिर भी मुरझाये हो
सब झूठ है न……?
उससे मिलने जाओ तो उससे मिलने जाओ
उसके बीच में ये प्रार्थना ये दोष मत लाओ
जो बीच में आ गया उसी से तो मिल पाओगे
कोशिश करो फिर सोचो कैसे पहुँच पाओगे
दरअसल तुम डरपोक हो
डरते हो उसको अपनाने से
जोखिम है साथ निभाने में
गर वो साथ हो लिया
फिर किस्से क्या छूपयोगे
कैसे वो खेल खेल पाओगे
किसको तुम ठग पाओगे
फिर किसको तुम हराओगे
कुछ भी समझ नहीं पाओगे
और खुद ही गुम हो जाओगे
और...........
ऐसा तुम कदापि नहीं चाहते
बोलो सच है न? सब झूठ है न?
Poet; Amrit Pal Singh Gogia
Visit my blog; gogiaaps.blogspot.in
Visit my page on face book; Attitude: Dreams Come True
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Har pal har Waqt insan dar m hi jeeta hai.....ishqar se pyar nhi bas dar hai......exchange offer chalte hain mannaton k badle chadawa......Beautiful and true illustration of one kind of behavior of mankind.....thank you for sharing :)
Thank you very much for taking out time to read poem & encouraging me to be more responsible. I appreciate. Gogia