A-090. नए रास्ते की तलाश Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-090. नए रास्ते की तलाश

नए रास्ते की तलाश 14.2.16—10.12 AM
(मेरे एक नए दोस्त को समर्पित)

नए रास्ते की तलाश
और हुआ मैं हताश
इतने प्यारे रिश्ते
कहाँ छूट गए
जो कल तक अपने थे
आज टूट गए
यादें भी छूट जाती तो
कोई गम न होता
मगर ये तो और भी
मजबूत हो गए

आसाँ नहीं है
दोनों के साथ चलना
स्वाभाविक है बीच में
दिल का मचलना

दिल की सुनोगे
या जंगे सफर की
शब्दों की सुनोगे
या मंदे कफर की

नीयति तय करेगी
सफर ये सुहाना
दर्द के लम्हें भी होंगे
बिलकुल न घबराना

लक्ष्य अधीन रखना
शब्द तमीज रखना
दुनिया परे की परे
खुद पे यकीन रखना।..
खुद पे यकीन रखना

Poet; Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-090. नए रास्ते की तलाश
Monday, May 30, 2016
Topic(s) of this poem: motivational
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