मैं वही हूँ 22.4.16—5.42 AM
सच और झूठ का झगड़ा हो गया
अस्तित्व बचाने का रगड़ा हो गया
बहस छिड़ी खुद को बचाने के लिए
अपना अपना नाम कमाने के लिए
अपने आप को सही बताने के लिए
एक दूसरे को गलत ठहराने के लिए
अकड़ दिखा यह बात बताने के लिए
जो करना है कर लो बचाने के लिए
प्रमाण भी इकट्ठे किये जताने के लिए
बात अपनी दूसरोँ को समझाने के लिए
हार जीत की जंग उनको हराने के लिए
दुनिया को अपना अहम दिखाने के लिए
देखा तो बहुत कुछ खो चुका था
सुख शान्ति मन सब सो चुका था
प्यार का कुछ समझ आया नहीं
अपनों का कहीं कोई साया नहीं
जोश उमंग के चिथड़े से उड़ गए
सेहत से न जाने कब उलझ गए
अभिव्यक्ति न जाने कहाँ खो गई
शांति स्वरुप जाने कहाँ सो गयी
संतोष पूर्ती मन की बेरंग हो गई
जिंदगी मानो तो बदरंग हो गयी
करना तो बस एक ही चुनाव था
मैं सही हूँ…… या……मैं वही हूँ
जिद्द अपनी छोड़ी कि मैं सही हूँ
जिंदगी मिली दोबारा कि मैं वही हूँ…..
………………………........ मैं वही हूँ…..
Poet; Amrit Pal Singh Gogia 'Gogia'
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