आंसू कभी ना लाऊंगा
में आया तो तुम सो रही थी
नींद में मग्न, अबाल सी लगती थी
जगाना मैंने उचित नहीं समजा
बस वंचित सा रह गया एक लम्हा।
तुम बेफिक्र और बेखबर थी
में पास था पर तुम राहबर ना थी
में कैसे छोड़ जाता, तुम सोयी थी?
मंद मुस्कान के साथ खोयी थी।
प्रियतमा, तुम सोते हुए राजकुमारी लगती थी
कैसी भी हो, मन में बसी हमारी थी
ना मैंने आहट आने दी और नाही कोई भनक
बस तो देखता ही रह गया एकटक।
कुछ बड़बड़ा जरूर रही थी
मानो स्वगत कुछ कह रही थी
'मुझे ले चलो, मुझे ले चलो'
मुझे दिल से जानो और परख लो।
में रोक ना पाया अपनी हंसी को
क्या कहूँ उसकी बेबसी को?
वो सपने सजा रही थी
मुझे अनकही बात बता रही थी।
मुझे समज नहीं आया
में क्यों रात में उसके पास दौड़ा आया?
वो जब जानेगी तो क्या क्या चिल्लाएगी?
अपने मन की भड़ास युही निकालेगी।
में गभराया, पर फिर दिल उभर आया
जो कुछ कहने आया था, वो कह नहीं पाया
शुक्र करो की में उसकी असली हालत देख पाया
सपने में भी उसको अपनी छाया ही पाया।
कुछ होगा कुदरत का संकेत ओर मेहर!
जीवन महकेगा और होगी लीलालहेर
उसका साथ मेरी बगिया महकायेगा
जीवन में ख़ुशी का रंग जरूर भर जाएगा।
मेघधनुष का दिखना शुभ माना जाता है
अच्छी बहांर का फुलों के साथ दिख जाना अच्छा लगता है
हमने भी ठाना है की साथ जरूर निभाउंगा
उसकी आँखों में आंसू कभी ना लाऊंगा
Santoshkumar Rout and Deepak Rajput like this. Hasmukh Mehta welcome 3 secs · Unlike · 1
Hasmukh Mehta welcome rajendra sharma n subodh sulabh 3 secs · Unlike · 1
2 people like this. Hasmukh Mehta welcome diwakar mishra n mannu saharan 2 secs · Unlike · 1
Hasmukh Mehta welcome sneha kumari 3 secs · Unlike · 1
3 people like this. Hasmukh Mehta welcomerajnish dixit, jay dwivedi n sunit singh 9 secs · Unlike · 1
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
welcome kl swami n amrit kaur 3 secs · Unlike · 1