आस के साथसाथ
मंगलवार, २२ मई, २०१८
हर सुबह रंगीन होती है
उसको शुरुआत संगीन होती है
मन में उमड़ते उमंग
बस मिल जाय साथी का संग?
जब मंसूबा अच्छा हो
और साथ में शुरुआत अच्छी हो
तो कोई कुछ भी बुरा नहीं कर सकता
अपने आप ही अनुकूल हो जाता।
हाँ, जब आपने ठान ली
और अच्छी शुरुआत कर ली
तो आधा काम तो हो गया आपका
अब तो बारी है, शुक्रिया कर दो सब का।
कुछ ऊपरनीचे हो भी जाय
तो देखलो, दिल कभी दुखने पाय
सुबह हुई है तो, सायंकाल भी होगा
दुखो का अंत भी, समय से ही होगा।
बस हौंसला बुलंद हो
काम तुरंत हो
पर जल्दबाजी ना हो
गलती का कोई भी, अंदेशा ना हो।
अपने आप काम होते जाएंगे
जीवन में खुशनुमा मौसम लाते जाएंगे
हर तरफ से आपको सुकन मिलेगा
और ठंडी सी आस के साथसाथ आराम भी मिलेगा।
हसमुख अमथालाल मेहता
welcome ranjan yadav 1 Manage LikeShow more reactions · Reply · 1m
Deepak Kotadia Deepak Kotadia Nice poem. 1 Manage Like · Reply · 2h
welcome Piyush Solanki Parimal 1 Manage Like · Reply · 1m
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अपने आप काम होते जाएंगे जीवन में खुशनुमा मौसम लाते जाएंगे हर तरफ से आपको सुकन मिलेगा और ठंडी सी आस के साथसाथ आराम भी मिलेगा। हसमुख अमथालाल मेहता