Adhurapan - अधूरापन Poem by Abhaya Sharma

Adhurapan - अधूरापन

मुझे आज गम किस बात का
जो दिया है दिल का बुझा हुआ
फिर किस लिए है उदास मन
किस ख्बाब का मुझे ख्बाब था

जो न बन सका कोई हमसफ़र
मेरी राह को न मिली डगर
क्या कभी कहीं हर शाख पर
खिलते है गुल औ गुंचे चमन

मेरे हाल का मेरे प्यार का
जो गुलाब था, था वो अधखिला
नहीं साज़ था न थी महफिलें
न वो गीत थे ये मलाल था

मेरे भाई सुन मेरे रहगुजर
मेरा रूप धर कल चल उधर
वहां शांति कायम है जिधर
जहां भाई भाई में प्यार अमर

अभय शर्मा

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This is again from my old black diary.. and probably the time is around Febraury 2009 again..

Sharing it only now.. I had a hesitation in sharing such gloomy looking thoughts.. now I realise it is all right..
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