अपने प्रयास... Apne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अपने प्रयास... Apne

Rating: 5.0

अपने प्रयास
रविवार, २४ मार्च २०१९

ना करना किसी पे एतबार
वो धोखा देंगे बार बार
आप रोते रहोगे अपनी क़िस्मत पर
कोई ना रोएगा आपको देखकर।

सम्हालो अपने आप
ना रखो कोई संताप
सेह नहीं पाओगे उसका ताप
जलते ही रह जाओगे लगता रहेगा भाप।

विश्वास से ही चलता
और अविश्वास सेही डूबता
मरता क्या क्या न करता?
बस अपने दुखड़े रोता रेहता।

करते रहो अपने प्रयास
मिल जाएगा आपको अनायास
ना मांगे मिलता सबकुछ
मांगने से लूट जाता बहुतकुछ।

रहो खुश अपने कार्य से
बनाओ स्वीकार्य ख़ुशी से
ना करो फ़रियाद प्रभु से
जानता वो सबकुछ स्वयंभु।

हसमुख मेहता

अपने प्रयास... Apne
Sunday, March 24, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 24 March 2019

रहो खुश अपने कार्य से बनाओ स्वीकार्य ख़ुशी से ना करो फ़रियाद प्रभु से जानता वो सबकुछ स्वयंभु।.....touching expression with nice theme. Beautiful poem shared amazingly.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success