अपने मद में
माना गया है
अपनाया गया है
जीवन का सिद्धांत
ओर रहता है मरण पर्यन्त
पति का फर्ज
सब जगह है दर्ज
कुल को आगे बढ़ाना
अच्छा नाम कमाना।
शादी के पवित्र बंधन से बंधना
पत्नी को धर्म के अनुरूप अपनाना
योग्य अवसरोंपर उसकी रक्षा करना
और जीवन पर्यन्त निर्वाह करना।
अब जीवन बदला है
लोगों का सोचना ओर फिसला है
मानक दंड नहीं पर विचार मंडराते है
लोग बहुत लुछ कहते है।
अब मानव धर्म भी एक धर्म है
ना मानो तो अधर्म है
हर कोई सही नहीं चलता
अपने मद में हाथी की तरह चलता।
अब मानव धर्म भी एक धर्म है ना मानो तो अधर्म है हर कोई सही नहीं चलता अपने मद में हाथी की तरह चलता।. . .. we such bat hai. Khubsurat geet likhen hain aap Amathalal ji. Sukriya.
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अब मानव धर्म भी एक धर्म है ना मानो तो अधर्म है हर कोई सही नहीं चलता अपने मद में हाथी की तरह चलता।. . .. we such bat hai. Khubsurat geet likhen hain aap Amathalal ji. Sukriya.