बस प्यार से ही बोझ को ढोना है.. BAS PYARSE HI
हमारे खेत है
खलिहान है
आप नहीं जा सकते
नहीं आ भी सकते।
'बापजी पुरे सड़क पानी से भरी हुई है '
'अर्थी को कहीं और से ले जानेका रास्ता नहीं है '
ड़ागुओ में से किसी ने धीरे से अर्ज किया
और अर्थी को जाने देने के लिए प्रार्थना किया।
नहीं आप नहीं जा सकते
नाही आप यहाँ रुक सकते
उपर से बारिश का मौसम
नीचे ये मातम!
उफ़! पूरे मानवजात शर्मसार हुई
अर्थी की लाज को संसार में तार तार हुई
सन्मान पूरा करना था इसलिए सब दूसरी जगह से ले गए
पर दिल में घाव सा महसूस किया और चल दिए।
हम पैदा किसलिए हुए है?
एक दूसरे से पराये कब होने लगे है?
भगवान् ने तो ये सब कहीं भी नहीं उपदेस दिया है
फिर हमने ऐसे अंधविश्वास को क्यों जन्म दिया है?
हमारा दिल रो पड़ा
ऐसा पाला यदि हमसे पड़ा होता!
हम क्या करते इन हालात में?
क्या यही विरासत मिलनी थी हमें?
दिल में खोफ है और ग्लानि भी
आत्मचिंतन की कमी भी
बुझुर्ग हमारे कहा करते थे
और प्रेम के सहारे चला करते थे।
ना करना ऐसा झूल जो जीवनभर याद रहे
दूसरों को अपनाने से भी परहेज करे
हमें नफरत के बीज नहीं बोना है!
बस प्यार से ही बोझ को ढोना है।
ना करना ऐसा झूल जो जीवनभर याद रहे दूसरों को अपनाने से भी परहेज करे हमें नफरत के बीज नहीं बोना है! बस प्यार से ही बोझ को ढोना है।
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Excellent depiction. Thanks for sharing.