बसी तस्वीर.... Basi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

बसी तस्वीर.... Basi

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बसी तस्वीर
शनिवार, २० सितम्बर २०१८

तस्वीर ही तो बसी है
ये क्या बेबसी है?
ना देख सकते है
ना बात कर सकते है।

इश्क़ में नाफ़रमानी नहीं होती
बस बेपनाह महोब्बतहोती है
मिले या ना मिले, बस चाह होती है
ना देखो तो सिर्फ आह ही निकलती है।

उझड़े हुए चमन में बस एक ही तो बुलबुल था
उसकी आवाज़ में बस मशगुल हो जाता था
क्या मिठास थी उसके गाने में?
वस् चाहत बढ ही रही थी, सुनने सुनने में।

इसको ना समझो मामूली महोब्बत
बस ये तो है एक चाहत
इसका कोई मोल नहीं
और कोई तोल भी नहीं।

रंगीनिया बिखरती है
फूलों की खुश्बू बिखरती है
मन तर हो जाता है
जीने की तमन्ना और बढ़ जाती है।

मानो या ना मानो
बस यही है बस्ती नादानो!
नहीं चढ़ती परवान महोब्बत यहीं
पर पनपतीं है असली इच्छाए यही।

हसमुख अमथालाल मेहता

बसी तस्वीर.... Basi
Friday, September 28, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 29 September 2018

welcome tahara khanum

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Mehta Hasmukh Amathalal 29 September 2018

Tahara Khanum Dhanyawad sir ji 1 Manage Like · Reply · See Translation · 1h

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Mehta Hasmukh Amathalal 28 September 2018

मानो या ना मानो बस यही है बस्ती नादानो! नहीं चढ़ती परवान महोब्बत यहीं पर पनपतीं है असली इच्छाए यही। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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