भाईचारा ही सब कुछ है... Bhaichara Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

भाईचारा ही सब कुछ है... Bhaichara

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भाईचारा ही सब कुछ है

सोमवार, ३० जुलाई २०१८

सुन्दर ये वादियां
बस खुशियां ही खुशियां
फूल महक रहे हो
चिड़ियाँ चह चह रही हो।

ये गांव है
सीधे सादे लोग है
बाहरी दुनिया से इतना लगाव नहीं
बस गाँव वालों से गहन रिश्ता यहीं।

कोई गुजर जाय तो पूरा गाँव शोकमग्न
सभी सामग्री उपलब्ध और साथ में अन्न
शाम को लोगो का घर में बेसना
देते रहते है सब बारी बारी सांत्वना।

सभी जाती के लोगों का का बस एक ही सूत्र
भले ही लोग मानतेरहते हो अपना गोत्र
हिन्दू नारियां गले में पहने मंगलसूत्र
प्यारे है सभी की पुत्रियां और पुत्र।

अभी नहीं पहुंचा है यहाँ जातिवाद का जहर
वो सिमित रह गया है शहर
यहां बस कैसे "जीवित रहे" इस की ही है फ़िक्र
हर कोई अपने भगवान को करता है शुक्र।

"दुनिया में क्या हो रहा " सब जानते है
"प्रभु इन्हे सद्बुद्धि दे " इसकी कामना करते है
कहीं भी "कुदरती होनारात" हो सब मंगलकामना करते है
"भाईचाराही सबकुछ है "ऐसा मत व्यक्त करतेहै।

हसमुख अमथालाल मेहता

भाईचारा ही सब कुछ है... Bhaichara
Monday, July 30, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 31 July 2018

दुनिया में क्या हो रहा सब जानते है प्रभु इन्हे सद्बुद्धि दे इसकी कामना करते है कहीं भी कुदरती होनारात हो सब मंगलकामना करते है भाईचाराही सबकुछ है ऐसा मत व्यक्त करतेहै।.............so touching and so true. Impressive expression with nice theme. Yes, भाईचाराही सबकुछ है Beautiful poem.

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दुनिया में क्या हो रहा सब जानते है प्रभु इन्हे सद्बुद्धि दे इसकी कामना करते है कहीं भी कुदरती होनारात हो सब मंगलकामना करते है भाईचारा ही सबकुछ है ऐसा मत व्यक्त करते है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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