भीतर ही भीतर
मंगलवार, २३ अक्तूबर २०१८
एक चेहरा हमेशा हँसता रहता
दुसरा हमेशा रोता रहता
एक का चेहरा नूरानी और, खुशनुमा
वो हमेशा बना राहेअपना रहनुमा।
हँसता हुआ चेहरा सबको पसंद
ऐसी खासियत होती है कुछ ख़ास लोग या चंद लोगो में
पर वो हमेशा दिलपर छाये रहते है
पानी छाप वो कायम के लिए छोड़ जाते है।
"क्यों रोती शकल बना रखी है"?
हम पूछते रहते है क्यों दुखी है भाई?
पर रोती सूरत पर कुछ असर नहीं होती
खुश रखने की कोशिश भी कामयाब नहीं होती।
सालसता और सादगी सब को है प्रिय
रोता बिलखता आदमी सब को है अप्रिय
उसका नहीं खाता सब से मेल
बस सदा मुश्केलियों को सहते रहता या झेलता।
दुःख में भी हँसते रहो
सब को प्यार से मिलते रहो
कोई समस्या है तो खुलकर कहो
भीतर ही भीतर ना घुटते रहो।
हसमुख मेहता
दुःख में भी हँसते रहो सब को प्यार से मिलते रहो कोई समस्या है तो खुलकर कहो भीतर ही भीतर ना घुटते रहो। हसमुख मेहता
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A smiling face always motivates mind and this reflects state of joyfulness. A brilliant poem is well penned.10