देशहित
सोमवार, १२ नवमेबर
आजकल देशहित की चर्चा हो रही है
कौन बढ़िया कर रहा है उसका हिसाब मांगा जा रहा है
कोई अपनी गलती स्वीकार नहीं कर रहा
इसी पशोपेश में देश का बड़ा नुक्सान हो रहा।
"मै किसानो का कर्जा माफ़ कर दूंगा "
सत्ता में आने के बाद बिजली माफ़ कर दूंगा
ये अब लोग ऐसे बोल रहे है
जैसे अपनी जमा पूंजी से देने जा रहे है।
उनकी वाणी में संस्कार नहीं
हम किसी के पक्षकार नहीं
फिर भी सत्ताका गुरुर उन्हें नीचा दिखा रहा है
देश की साख प्रतिदिन गीराए जा रहे है।
अपना फायदा किस से पहुँच सकता है
फिर भले ही देशबिकता रहे
देश पर हमला जो जाय तो नीचा दिखना पड़े
इसी सोच के साथ वो रहते है हमेशा भिड़े।
प्रांतवाद, जातिवाद असीम सीमा पर है
हरकोई अपना आरक्षण चाहता है
"देश में खुशहाली " कैसे आए वो उनकी समझ के परे है
बस एक दूसरे को क्षोभनीय स्थिती में डालनेकी फिराक में है।
हसमुख मेहता
प्रांतवाद, जातिवाद असीम सीमा पर है हरकोई अपना आरक्षण चाहता है देश में खुशहाली कैसे आए वो उनकी समझ के परे है बस एक दूसरे को क्षोभनीय स्थिती में डालनेकी फिराक में है। हसमुख मेहता
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आजकल देशहित की चर्चा हो रही है कौन बढ़िया कर रहा है उसका हिसाब मांगा जा रहा है कोई अपनी गलती स्वीकार नहीं कर रहा इसी पशोपेश में देश का बड़ा नुक्सान हो रहा। so true. No one is agree to accept his faults. This is really a beautiful poem having touching expression with a lofty theme. Thanks for sharing.10