देश है तो हम है desh hai to ham Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

देश है तो हम है desh hai to ham

Rating: 5.0


देश है तो हम है

मेरे देश की शान
हो जाऊ तुझपर न्योछावर और कुर्बान
कैसे बताऊ क्या है जजबा -ए - अरमान?
बस एक ही ध्येय hai कैसे बढ़ाऊ सन्मान?

व्यापारी था व्यसाय करता रहा
किसान था हल जोतता रहां
सैनिक बना ओर देश की सेवा करता रहा
अब जो हो रहा है उसे भी देखता रहा।

तुझे लहराता देख मनको सुकून मिलता है
बीते दिनोंकी याद ताजा करवाता है
वतन की रखवाली तो हिमालय करता था
घंटारव तो सिर्फ शिवालय में hi हुआ करता था।

फिरभी तू ही हमारी आण, बाण और प्राण है
'तुझ से हम है' यही सच्चा प्रमाण है
देश के दुलारे है और चहेते भी है
साँस भी खुल्ली हवा में लेते है और जी लेते है

ग्रहण तो लग गया है देशपर, पर हम सम्हाल लेंगे
हर आफत को हँसते हँसते सह भी लेंगे
पर कैसे सहेंगे नफरत का बीज जो अनजाने में पल रहा है?
यही घुटन हमें मजबूर कर रही है और सताए जा रही है!

फर्क आ गया है दिलौं में और नेतागिरी में
लोग भी राच रहे है सपनों की नगरी और अमीरी में
'देश जाय भाड़ में पर मेरी जेब खाली ना रहे'
में लूंटाउ देश का धन इस कदर की मजदूर भूखा का भूखा ही रहे

किसान को नहीं पानी और बीजली
शेहरो में इंसानियत कमी or गली है पतली
किसे सुनाएँ हम अपनी कथनी और देखे आगे?
फिर भी हैम मर सकते है तेरे आगे 'तिरंगे'

आज भी जवान अपना बलिदान दे रहा है
किसान खेती में और मजदूर खुल्ले में पसीना बहा रहा है
हर देशवासी देख रहा है अबं ऊंट किस कदर बैठेगा?
कौन सा नेता अपनी मनचाही कीमत मांग बैठेगा?

भर आती है आँखे और नम हो जाती है पलकें
जब हम सोचते है देश के बारे में जरा हटके
'लहरायेगा मेरा तिरंगा वतन की शान में'
देश है तो हम है, और हम है तो मिसाल है

COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 25 January 2014

3 people like this. Hasmukh Mehta welcome prapti shah, nikung kuriya n shushal ahmeda a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 25 January 2014

Jeremy Bazinaw and Lisa Lombardi like this. Hasmukh Mehta welcome jeremy and lisa a few seconds ago · Unlike · 1

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success