Eid - Poem by Abhaya Sharma

Eid -

दुनिया के दुखों को मोड़ती
आज सुहानी ईद आई है
हम सब को सुखों से जोड़ती
आज रूहानी ईद आई है

मुसीबतों को छोड़ के पीछे
जहां में फिर ये ईद आई है
नसीहतों की याद दिलाती
जग में फिर ये ईद आई है

आज मिलो तुम गले सभी से
यह समझाती ईद आई है
खुदा से मिलने चलो आज
यह बतलाती फिर ईद आई है

है ईद मुबारक साथ लिये
कुछ नगमे और कुछ गीत लाई है
ये ईद आज कुछ याद दिलाती
बचपन के प्यारे मीत लाई है

आओ मनायें ईद कि मिल-जुल
ऎसी रीत चली आई है
चलो मना ले ईद कि हम-तुम
दिल में प्रीत नई छाई है

Abhaya Sharma
11 September 2010

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Bijnor, UP, India
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