होश मेरे उड़ गये
अल्फाज़ भी थे खो गये
जब देखता हूं यह गरीबी
या कहूं इतनी फकीरी
उनकी हालत पर तरस खाता नही
अपनी हालत पर बरस पाता कहीं
क्या कर सकूंगा कुछ कभी
जो कुछ न कर पाया अभी
आज मेरी आंख में आंसू नही
दिल भी रोता है कहूं मैं क्या नही
तन पे कपड़ा ही नही
न मन में उनके है खुशी
बस जी रहे है जिंदगी सब
है अजब सी, इस जहां की बेबसी
न इन्होने सुख को जाना
न ही जाना कोई सपना
बस जहां जिस हाल में है
भाग्य अपना उसको माना
न कोई उमंग छूती
न तरंग ही है उठती
जी रहे है जिंदगी को
जैसी उनकी जिंदगी थी
आज मिलकर मन मसोसा
अपने दिल को भी टटोला
हैं क्या यही जीवन के मानी
अपने मन में फिर ये ठानी
कर भला होगा भला
हर शख्स सोचे तो जरा
आज जब उनसे मिला
अपने से भी थी एक गिला
कुछ समय के ही लिये
या कुछ पलों के वास्ते
सोचता हूं जब पलटकर
या देखता मुहं मोड़कर
क्यों खुदा ने खेल इनके साथ खेला
क्यों बंद करके रास्ते
क्या यही जीवन है या फिर
एक यही सच जिंदगी के मायने ।
अभय शर्मा
25 जनवरी 2010
Wonderful translation shared to Bachchan's view. Interestingly life faces many examinations. Wonderful drafting shared with wise expression.10
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Bahut Badhiya, , , Ye hum sab ki bhi halat hai...10