अंधभक्ति कै नशा Poem by Gaya Prasad Anand

अंधभक्ति कै नशा

अंधभक्ति कै नशा
जबसे चढ़ा
अन्याय अत्याचार
ख़ूब बढ़ा
इंसानियत भाई चारा
सब ख़तम होइ गवा
जबसे हिंसा पर मनई
उतारू भवा
मनई - मनई पर
अब तौ भारु भवा

- गया प्रसाद आनन्द
(आनन्द गोंडवी)

अंधभक्ति कै नशा
Saturday, April 5, 2025
Topic(s) of this poem: equality
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