भ्रष्टाचार (गरीबों का शोषण) Gaya Prasad Anand Poem by Gaya Prasad Anand

भ्रष्टाचार (गरीबों का शोषण) Gaya Prasad Anand

दिन दूना औ रात चौगुना
खूब बढ़ रहा भ्रष्टाचार

यै पी एम, सी एम का करिहै
नेता अधिकारी सब साझेदार

लोकई सोमई गोबरे झब्बर
सब हैं देखो केतना खुश

गाँवन म बँट रही कालोनी
अब न रही छप्पर फूस

देख मंगरुवा दुखी होई रहा
अपनी झोपड़ी छप्पर फूस

प्रधान जी तो माँग रहे हैं
बीस हजार रू खुल्ला घूस

रही गरीबी लाचारी
'आनन्द 'सहें महँगाई की मार

दिन दूना औ रात चौगुना
खूब बढ़ रहा भ्रष्टाचार

गया प्रसाद आनन्द
(आनन्द गौंडवी)
झुनझुना -9919060170

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