आँखों में समंदर है
तो हाथों में रूहानी है
मेरा दिल दरिया है
जिसमें चाहत का पानी है
बेपनाह मुहब्बत है जिन्हें
वो आकर यहाँ डुबकी लगाते हैं
आनन्द के फूल खिलते हैं
हम जब मुस्कुराते हैं
मिलोगे जब भी तुम मुझसे
कि खुद को भूल जाओगे
निगाहें बंद करके देखोगे
तो अपने दिल में पाओगे
ऐ दोस्त _ _ _ _
नापने की कोशिश न करना
कभी मेरे दिल की गहराई का
इसमें डूबा जो इक बार
वो दोबारानहीं निकला
-Anand Gondavi
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem