प्यार का वार Gaya Prasad Anand Poem by Gaya Prasad Anand

प्यार का वार Gaya Prasad Anand

हथियार का मारा हुआ मरते हुये ये कह गया
प्यार का मारा सदा बीमार बनकर रह गया

यह बीमारी प्यार की जिसकी दवा है ही नहीँ
जितना चाहो ढूँढ़ लो न पाओगे तुम कहीँ

गर किसी को मारना है मारदो तुम प्यार से
नजदीकीया बढ़ जायेंगी इस तुम्हारे वार से

'आनन्द 'ने मारा है सबको प्यार का देकर संदेश
घायल हर कोई हुआ पर घाव न रहा कोई शेष

प्यार का वार Gaya Prasad Anand
Tuesday, March 20, 2018
Topic(s) of this poem: love,love and friendship
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success