घूंट पीकर सहम जाते है
मान हो या अपमान
लगते है जैसे तीर या बाण
सीधे चोट करते है दिल पर
सूला देते है आपको शर सैया पर।
मान के लिए हर इंसान तरसता है
अपना पसीना खूब बहाता है
सबको ये गुरुर से बताता है
अपने आपको खूब जताता है।
कुछ काम नहीं आता ऐसा वर्तन
बेकार हो जाता है भजन या कीर्तन
मन में एक टीस सी उठ जाती है
वो कभी आपको चेन से सोने नहीं देती है।
वो तो बोलकर थक जाएगा
एक ही सांस में सब कुछ उगल देगा
बाद में लंबी सांस लिए अपनी गलती को महसूस करेगा
जो भी गुस्से में बोला गया उसका पछतावा भी करेगा।
यही है हमारी पहचान
हो जाता है कभी कभी सवार शैतान
हम माफ़ी मांग लेते है दिल से
रो लेते है और कह भी देते है प्रभु से।
हमारी तुलना पशु से ना कीजिए
हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए
हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको
खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को।
हमारी तुलना पशु से ना कीजिए हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को.... nice presentation. Thanks sir.
welcome rupal bhandari Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome kamaxi shah Unlike · Reply · 1 · Just now · Edited
हमारी तुलना पशु से ना कीजिए हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को... nice presentation. Thanks sir.
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मान हो या अपमान लगते है जैसे तीर या बाण सीधे चोट करते है दिल पर सूला देते है आपको शर सैया पर।