घूंट पीकर सहम जाते है Ghut Pi Kar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

घूंट पीकर सहम जाते है Ghut Pi Kar

घूंट पीकर सहम जाते है

मान हो या अपमान
लगते है जैसे तीर या बाण
सीधे चोट करते है दिल पर
सूला देते है आपको शर सैया पर।

मान के लिए हर इंसान तरसता है
अपना पसीना खूब बहाता है
सबको ये गुरुर से बताता है
अपने आपको खूब जताता है।

कुछ काम नहीं आता ऐसा वर्तन
बेकार हो जाता है भजन या कीर्तन
मन में एक टीस सी उठ जाती है
वो कभी आपको चेन से सोने नहीं देती है।

वो तो बोलकर थक जाएगा
एक ही सांस में सब कुछ उगल देगा
बाद में लंबी सांस लिए अपनी गलती को महसूस करेगा
जो भी गुस्से में बोला गया उसका पछतावा भी करेगा।

यही है हमारी पहचान
हो जाता है कभी कभी सवार शैतान
हम माफ़ी मांग लेते है दिल से
रो लेते है और कह भी देते है प्रभु से।

हमारी तुलना पशु से ना कीजिए
हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए
हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको
खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को।

घूंट पीकर सहम जाते है Ghut Pi Kar
Tuesday, March 21, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 March 2017

मान हो या अपमान लगते है जैसे तीर या बाण सीधे चोट करते है दिल पर सूला देते है आपको शर सैया पर।

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Kumarmani Mahakul 21 March 2017

हमारी तुलना पशु से ना कीजिए हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को.... nice presentation. Thanks sir.

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 March 2017

welcome manisha mehta Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 March 2017

welcome rupal bhandari Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 March 2017

welcome kamaxi shah Unlike · Reply · 1 · Just now · Edited

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Geetha Jayakumar 21 March 2017

Bahuth khoob likha aapney. Loved reading it.

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Kumarmani Mahakul 21 March 2017

हमारी तुलना पशु से ना कीजिए हमारी थोड़ी सी सुन लीजिए हम क्षण भर भूल सकते है अपने आपको खून के घूंट पीकर सहम जाते है रात को... nice presentation. Thanks sir.

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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