गिरधारी
गुरूवार,23 अगस्त 2018
गिरधारी
सुणजो विनती हमारी
अरज करूँ में वारिवारी
लाज रखियो हमारी।
तुम बिन जीवन खाराखारा
संसार लगे अकारण खारा
नहीं सुधबुध और तन को संवारा
घूमते रहे हम आवारावारा।
चेन नहीं चिंता अकारण
जान नहीं पाया कोई कारण
बेसुध सा, बेसहारा है जीवन
कर दो प्रभु उसे तुम सजीवन।
काया में ऊर्जा संचारो
मेरे जनमारे को तुम तारो
बस एक ही है तेरो सहारो
जीवनसागर से पार उतारो।
छोटी सी है मन आशा
भर ना जाय उसमे निराशा
जगा देना आशा का किरण
में तड़प रहा जैसे हिरन।
ना ज्यादा लालसा है
और नाही मनसा
बस थोड़ा सा बदले मन का बोज
में निशदिन करूँ आपकी खोज।
ज्यादा मत तरसाना
पूरी करो मनोकामना
मनवांछित फल मिले
और मन की ईच्छा पुरी होले।
हसमुख अमथालाल मेहता
ज्यादा मत तरसाना पूरी करो मनोकामना मनवांछित फल मिले और मन की ईच्छा पुरी होले। हसमुख अमथालाल मेहता
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ना ज्यादा लालसा है और नाही मनसा बस थोड़ा सा बदले मन का बोज में निशदिन करूँ आपकी खोज।...... touching expression with nice theme. Beautiful poem.