हमारी काबिलियत.... Hamari Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमारी काबिलियत.... Hamari

Rating: 5.0

हमारी काबिलियत
बुधवार, १0 अक्टूबर २०१८

हम है अनोखे और निराले
दिल के धनी और मतवाले
आज की नहीं फ़िक्र और कल की नहीं करनेवाली
"देखी जाएगी "जब आएगी तब की तब देखी जाएगी।

भरोसा है हमें, हमारी बुद्धिमतापर
नहीं छोड़ते हम आज की बात कलपर
जो भी सौंपा जाएगा, हल करेंगे उसीपल
नहीं देंगे मौक़ा, शिकायत का कल।

करते है लोग शक, हमारी काबिलियत
पर हम नहीं देंगे मौक़ा अब की बार
हम डट जाएंगे और साबित कर देंगे
दिखाएंगे जज्बा और हौंसले भी बुलंद होंगे।

सहेंगे सदा तत्पर
कभी गफलत नहीं करेंगे रहकर होशियार
जीवन का यही तो है फलसफा
बस बढ़ता रहे जीवन का सफर और कारवां।

सोच रखते है हमेशा आगे की
वर्तमान की नहीं पर भविष्य की
जीना भी है हमारा आयुष्य
हम कभी भी नहीं होंगे मायुस।

हसमुख अमथालाल मेहता

हमारी काबिलियत.... Hamari
Wednesday, October 10, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 10 October 2018

सोच रखते है हमेशा आगे की वर्तमान की नहीं पर भविष्य की जीना भी है हमारा आयुष्य हम कभी भी नहीं होंगे मायुस। हसमुख अमथालाल मेहता

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success