Khayalon Ke Samandar (समंदर) Poem by Pushpa P Parjiea

Khayalon Ke Samandar (समंदर)

कभी ख़ुशी कभी ग़म दे जाती ये खयालो की दुनिया
कभी पुरानी यादों की बारात ले आती ख़यालों की दुनिया
कभी आँखों में खुशियों के सपने भर जाती खयालों की दुनिया
कभी खोकर अतीत के झरोखों में छलक जाती आँखे बह जाते आंसू
कभी याद आती नन्ही सी प्यारी सी अपनी सी वो दुनिया
कभी हम भटकते ख़यालों की बंजर जमीं पर...
कभी उड़ते पंख लगा के पंछी बनते गगन पर
कभी तैर के जाते बहते ख़यालों के समन्दर
खयालो में जब तुम एकबार आ ही जाते
कभी तब हम खुद को ही भूल से भी जाते
वो जीवन की सरिता, जहाँ थी वो ममता थी खयालो की गरिमा
खयालो की दुनिया जहा बस ही यूं जाये, जी जाएँ हम, कभी हंसें.. कभी मुस्कुराएं.

Monday, April 17, 2017
Topic(s) of this poem: abc
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