लग जाता है ताला
Friday, April 27,2018
10: 40 AM
में गीरा तूफानों के चंगुल में
खतरा बना हुआ था बगल में
मुझे आगाह ही नहीं हुआ
बस अनकही का हादसा हुआ।
अरमानों की डोली सजी हुई थी
मन ही मन ख़ुशी हो रही थी
आसमान अपने सुनहरे अंदाज में लिप्त था
मैं भी अपने में तृप्त था।
पता नहीं उनके क्या इरादे थे?
बस उखड़े उखड़े रहते थे
दुआसलाम का नामोंनिशां नहीं था
मेरा दिल यूँही बैठा जा रहा था।
आसमान से बिजली गीरी
दूर तक उसकी आवाज निकली
मेरे दिल एक टीस सी उठी!
आँखे नरमा गई और रो बैठी।
ये तूफ़ान ही था
बस नैनों को मचलने वाला था
में तो ऐसे ही दिल का कमजोर था
उनका निर्णय मेरे लिए सिरमौर था।
नहीं मिल ती सबको अपनी मनपसंद
होते तो है सब सच्चे ओर जरूरतमंद
पर हो होती है उनकी गति मंद
जबान को लग जाता है ताला और जो जाती है बंद।
में गीरा तूफानों के चंगुल में खतरा बना हुआ था बगल में मुझे आगाह ही नहीं हुआ बस अनकही का हादसा हुआ।
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