Mere Meet Suno Mere Geet Suno Poem by AVINASH PANDEY KHUSH

Mere Meet Suno Mere Geet Suno

मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो

मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
संगीत सुनो रीति यह सुनो, कलयुग की गन्दी नीति सुनो
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
नहीं आव-भगत इंसानो का, करतब दिखता हैवानो का
वृद्धो की सेवा न होता, वृद्धो की पीड़ा न दिखता
इन्सान बने इंसानों से, दिखते है क्यों शैतानो से
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
अब प्यार की नई संगीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
यहाँ आँख दिखाये माता को, यहाँ राह दिखाये दाता को
कैसी दुनिया कैसी प्रीति, कैसी बन गई जीवन की गीत
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
जीवन की नई संगीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो-२
यहाँ मतलब से रिश्ते बनते, रिश्ते को युग ने बदल दिया
जैसे बाप बेटा जैसे राजनेता, जैसे वाणी और विचार जैसे देश का प्यार
जैसे साधु संत जैसे है ये महंत, मतलब से सब बनते है मीत
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
मतलब की नई संगीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो
यहाँ जीवन साथी का साथ नहीं, जीवन में किसी को अवकाश नहीं
पहले हाथ थामने आते है, फिर बाद तलाक दे जाते है
साथी जब साथ निभाए ना, खाई में हाथ बढ़ाये ना
कैसी दुनिया, कैसी ये जीत, कैसी बन गई साथी की गीत
मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो, मेरे मीत सुनो मेरे गीत सुनो-२

Mere Meet Suno Mere Geet Suno
Thursday, December 25, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
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culture of present india
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AVINASH PANDEY KHUSH

AVINASH PANDEY KHUSH

20/10/1995 JAUNPUR U. P. BHARAT
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