मेरी पहली यात्रा.. Meri Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मेरी पहली यात्रा.. Meri

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मेरी पहली यात्रा
गुरूवार, २९ नवम्बर २०१८

मेरा उत्साह समाया नहीं जा रहा था
मेरे को हवाई भर्ती बोर्ड के सामने पेश होना था
में मन ही मन हवाई किल्ले बांधरहा था
मेरेजीवन का नया अध्याय मुझे उड़ान भरवा रहा था।

सुबह, सुबह में विषादभरी धुन सुनकर गभरा गया
आकाशवाणी का यह अभिगम मुझे समज में नहीं आया
क्या कोई बड़े नेता का निधन हो गया होगा?
या देशपर आपत्ति के बादल छा गए होंगे?

अभी अभी ही पाक़िस्तान के साथ युद्ध समाप्त हुआ था
शास्त्री जी ताश्कंद समझौते के लिए गए थे
क्या हुआ होगा? मेरा दिल बैठने लगा
"शाश्त्रीजी का पार्थिव देह" देश में लाया जा रहा था।

मुझे याद है वो जनवरी का महीना था
लगा ऐसा भर्ती का होना संभव नहीं था
पर दिवंगत के लिए प्रार्थना के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ
हम सब शोकातुर वदन थे पर भाग लिया।

हम कितने खुशनसीब थे
भारत का पहला प्रधानमन्त्री ग़रीब परिवार से था
मरने के बाद गाडी की क़िस्त भी अदा करना बाकी थी
देश को विजय तो दिला दिया पर देखना बहुत कुछ बाकी था।

हसमुख मेहता

मेरी पहली यात्रा.. Meri
Thursday, November 29, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 29 November 2018

हम कितने खुशनसीब थे भारत का पहला प्रधानमन्त्री ग़रीब परिवार से था मरने के बाद गाडी की क़िस्त भी अदा करना बाकी थी देश को विजय तो दिला दिया पर देखना बहुत कुछ बाकी था। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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