मेरी दुल्हन
दिल-इ बेताब
में लिखता हूँ किताब
हर पन्ने पर है मेरी कहानी
पर में नहीं करता हानी।
में चाहकर भी चाह नहीं सकता
अपने दिल की बात भी नहीं कह सकता
सुना सकता हूँ अपने मन से निकली उर्मि
जो दुसरों के लिए हो जाती है अमी।
वो कहती थी रुक जाओ
अपने बसेरे में शामिल करलो
' में नहीं कर सकता तुम्हारा अभिवादन'
में नहीं दे सकता तुम्हे नंदनवन।
मेरा सुर्ख जीवन मेरे लिए है
'पतझड़' ही मेरी साथी बनेवाली है
मुझे अंधेरो से लगाव है और गरीबी से नफरत नहीं
जीवन है तो फिर भागने की जरुरत नहीं।
में उसे बनाऊंगा मेरी दुल्हन
जो नहीं होने देगी सपनों का हनन
घोसला बनाएगी हम सब के लिए
हम सब रहेंगे उसमे बिना गभराए।
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में उसे बनाऊंगा मेरी दुल्हन जो नहीं होने देगी सपनों का हनन घोसला बनाएगी हम सब के लिए हम सब रहेंगे उसमे बिना गभराए।