नमी का एहसास आयेगा जरूर। Nami Kaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

नमी का एहसास आयेगा जरूर। Nami Kaa

Rating: 5.0

नमी का एहसास आयेगा जरूर।

ना पता चला क्या है ये सफर
बस दिल चलते गए गुजर
हम ने भी ठानी की नहीं हटेंगे पीछे
लाये चेहरे पे मुस्कान और आंसू पोंछे।

धर्मसंकट जरूर था
पर विकत नहीं था
ये सफर मुझे ही तय करना था
जिंदगी में लय मुझे ही लाना था।‘'

जिंदगी हसीं होगी या बर्फीली
हरी रह पाएगी या पड जाएगी पीली
मैंने मौसम का मिझज देखा है
गुजरते गुजरते जरूर परखा है।

औेगा जीवन में कोई पड़ाव
तब होगा थोड़ा ठहराव
में सोचूंगी तब की क्या था माजरा
अभी तो ही जीवन मुश्किलों से भरा।

मौसम को सुहाना ही रहना है
पतझड़ को भी हमने अपनाना है
क्यों ना गिर जाए खूबसूरत फूल जमीं पर
आँखों में नमी का एहसास आयेगा जरूर।

नमी का एहसास आयेगा जरूर। Nami Kaa
Friday, May 20, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Ratnakar Mandlik 22 May 2016

A beautifully envisioned meaningful and thought provoking poem. Thanks for sharing.10 points.

0 0 Reply

मौसम को सुहाना ही रहना है पतझड़ को भी हमने अपनाना है क्यों ना गिर जाए खूबसूरत फूल जमीं पर आँखों में नमी का एहसास आयेगा जरूर।

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success