तुम विशाल हो, विराट हो, अपनी सीमायों का उलंघन नही करते,
मगर मैं तो हवा हूँ, वहती हुई पवन,
हूँ तुमसे मिलने को बेताब,
देखो मैं कितने करीब हूँ तुम्हारे
तुम्हारे नीले बदन को छू रही हूँ,
यूँ लगता तुम भी बरसों से बेताब
मुझे अपनी बाहों में भरने को,
आज तुम मेरे चेहरे को चूम रहे हो,
तुम्हारी लहरें मुझे बाहों में भरने को आतुर हैं,
यूँ लगता है मानो तुम भी थे कब से उदास,
मैं बहुत हूँ बेताब तुम्हारी बाहों में आने को, मुझे समेट लो,
कल कल बहता पानी मानो तुम्हारा प्रेम संगीत हो,
मैं चंचल पवन तुमसे पूछती हूँ
क्यूँ है दूरी मुझसे इतनी क्यूँ नही मुझे गले लगाते,
हज़ारों जीव अपनी प्यास बुझाते तुम्हारे जल से
मगर तुम उथल पुथल मानो बेचैन हो मुझसे मिलने को,
आज तो मिलन होगा प्रियतम
देखो कैसे तुम्हारी लहरें मुझे चूमने को हैं आतुर,
ओह यह खिल्लती धूप मानो मुस्करा रही हो
हमारे मिलन को देखकर
देखो यह गीत गाते पंछी सब खुशियाँ मनाते,
यह ढलती सांझ औंस की बूँदें,
सब हमारे मिलन की निशानियाँ हैं,
आज यह आँखों से बहता नीर कैसा?
खुश हो प्रियतम लगता मानो ऐसा,
हम दोनो तो अटूट प्रेमी हैं
कभी अलग दिखते मगर समाए हैं सदा एक दूजे में,
मुझे गले लगा लो अपने आँचल में सदा के लिए छुपा लो,
मेरी इस बेचैनी को सदा के लिए अपने में समा लो,
लगता है कितने बेचैन हो तुम मिलन को बिरह मैने ही नही तुमने भी सही,
कश्ती में सवार जब दूसरे तट को मैं निकली
तो तुम कल कल बहते मेरे साथ ही चल दिए
कहीं दूसरा शोर नही सिर्फ़ तुम मीलों तक सिर्फ़ तुम,
तुम करते मुझसे अटखेलिया कभी बूँद बन आँचल पे बरसते हो
कभी आँसू बन आँखों से बहते हो
और कभी अपनी लहरों से मेरे गालों को छू मुझको हया की लाली देते हो,
आज सब बंधन तोड़ बस तुमको जी भर गले लगायूं
किसी से अब ना शरमायूँ,
मांझी ने हाक़ लगाई जाना होगा सांझ ढले उस पार,
मेरी आँखें भर आई तुम आँसू बन छलके
मेरी धड़कन समझो रुकी मॅन हिमाल्या सा भारी,
मुझको रोको प्रियतम मुझे अपनी लहरों में समेट लो सदा सदा के लिए,
क्यूँ हो तुम इतने निर्मोही,
आज मेरे मॅन को कोई समझाए आँसू नही है रुकते मेरे,
और देखो तुम भी कितने उदास हो
यूँ लगता मानो सब आँसू तुम ही बहाते हो,
मेरे प्रियतम मुझको अपने पास बुलाओ सदा सदा के लिए,
मगर तुम कर्तव्य पत्थ पर बने हो,
तुम बह निकले मुझ पगली की तरह तो संसार लहरों में डूब जाएगा,
ना प्रियतम मेरे तुमको कोई पापी कहे यह मुझे स्वीकार नही,
मैं आयूंगी तुमसे मिलने सदा सदा के लिए
प्यासी तुमसे मिलन को बेचैन
जब लौटून तो मुझे गले लगाना प्रियतम,
बाहों में भर कस के गले लगायूंगी,
मेरा तुम्हारा मिलन सदा अमर होगा,
हे विशाल अनंत सागर तुम मेरे प्रेमी सदा हो
मैं चंचल सी बहती पवन तुम्हारी प्रेयसी तुमसे मिलने को सदा आतुर,
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बहुत सुन्दर कविता है, उपमा अति उत्तम है, वर्णन विशाल, मोतियों को माला में पिरोती हुई कविता है...............10+++
thank you so much sir, aap hindi ke ek uttam kavi hain, aapki rachnayen behad rochak hain, aapse prashnsa pakar manoval badha hain, aapka koti dhnyavaad