सब को अपनाते जाएंगे
हर रंग कुछ ना कुछ सन्देश देता है
अकोइ आदेश नहीं रखने देता है
इंसानियात क्या रंग हो सकता है?
साथ साथ रहो तो पता लग सकता है।
थोड़ी सी हंसी चेहरे पर
जरूर लाएगी ताजगी सब पर
अरे यह क्या हो ग़या? इतना फर्क थोड़ा खुश होने में
तो फिर एकता से कितना बदलाव महसूस होगा रहने में।
अनजान है हम और अनजाना वातावरण
सब ने चढ़ा रखा है छद्म आवरण
कोण देगा इसका विवरण?
फिर भी हमें दिखती है आशा की किरण।
मुसाफिर है हम और हमें चले जाना है
रास्ते में उतर कर जाना अपने मुकाम पर है
क्यों ना गले लगे और हालचाल पूछ ले
थोड़ा तो सहारा मिलेगा यह भी जान ले।
कट जाएगी ये दिन की दास्ताँ भी
साथ में रहेंगे दोस्त भी
नए जुड़ते जाएंगे पुराने छूट ते जाएंगे
हम तो यही रहेंगे सब को अपनाते जाएंगे।
Balika Sengupta बेहद खूबसूरत कविता । See translation Unlike · Reply · 1 · 1 min
कट जाएगी ये दिन की दास्ताँ भी साथ में रहेंगे दोस्त भी नए जुड़ते जाएंगे पुराने छूट ते जाएंगे हम तो यही रहेंगे सब को अपनाते जाएंगे।
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Remaining with togetherness we can feel the colour of humanity. This is an interesting poem shared here. This is very nice poem of awareness. Specialty of colours is brought up...10