सब को अपनाते जाएंगे Sab Ko Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सब को अपनाते जाएंगे Sab Ko

Rating: 5.0

सब को अपनाते जाएंगे

हर रंग कुछ ना कुछ सन्देश देता है
अकोइ आदेश नहीं रखने देता है
इंसानियात क्या रंग हो सकता है?
साथ साथ रहो तो पता लग सकता है।

थोड़ी सी हंसी चेहरे पर
जरूर लाएगी ताजगी सब पर
अरे यह क्या हो ग़या? इतना फर्क थोड़ा खुश होने में
तो फिर एकता से कितना बदलाव महसूस होगा रहने में।

अनजान है हम और अनजाना वातावरण
सब ने चढ़ा रखा है छद्म आवरण
कोण देगा इसका विवरण?
फिर भी हमें दिखती है आशा की किरण।

मुसाफिर है हम और हमें चले जाना है
रास्ते में उतर कर जाना अपने मुकाम पर है
क्यों ना गले लगे और हालचाल पूछ ले
थोड़ा तो सहारा मिलेगा यह भी जान ले।

कट जाएगी ये दिन की दास्ताँ भी
साथ में रहेंगे दोस्त भी
नए जुड़ते जाएंगे पुराने छूट ते जाएंगे
हम तो यही रहेंगे सब को अपनाते जाएंगे।

सब को अपनाते जाएंगे Sab Ko
Sunday, April 23, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Kumarmani Mahakul 23 April 2017

Remaining with togetherness we can feel the colour of humanity. This is an interesting poem shared here. This is very nice poem of awareness. Specialty of colours is brought up...10

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 April 2017

welcome balika sengupta

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 April 2017

Balika Sengupta बेहद खूबसूरत कविता । See translation Unlike · Reply · 1 · 1 min

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 April 2017

कट जाएगी ये दिन की दास्ताँ भी साथ में रहेंगे दोस्त भी नए जुड़ते जाएंगे पुराने छूट ते जाएंगे हम तो यही रहेंगे सब को अपनाते जाएंगे।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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