सब कुछ कह दिया
Friday, April 27,2018
8: 17 AM
तुम आवाज तो दो
मुझे कहने का मौक़ा तो दो
तुम मुझे जानो और समझो
फिर ही धीरे से कान में केहदो।
में नही कहुँगा
मैं छोड़ के चला जाऊंगा
तुम्हे नहीं सताऊंगा
पर जगाता रहूंगा।
मुझे मख्खन लगाने की आदत नहीं
और बुरा मानने की कोई बात नहीं
तेरी गुनगुनाहट कानों में गूंज रही
जैसे कोयल सुबह सुबह चहक रही।
मैं नहीं मानता की "तुम मुज से दूर हो"
इसके वाबजूद भी तुम मुझे पास लगती हो
मेरा खुश होना वाजिब है
पर बात इतनी ही गजब है।
मुझे यही कहनाहै
आपने मना नहीं करना है
मैंने सब कुछ कह दिया है
आप आप पर इसका निर्णय छोड़ दिया है।
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मुझे यही कहनाहै आपने मना नहीं करना है मैंने सब कुछ कह दिया है आप आप पर इसका निर्णय छोड़ दिया है। Hasmukh Amathalal