सम्बन्ध.. Sambandh Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सम्बन्ध.. Sambandh

Rating: 5.0

सम्बन्ध
Sunday, April 14,2019
7: 16 AM

नहीं बनते सम्बन्ध एक दिन मे
लग जाते है सालों दिल बसाने में
नहीं मिट पाते दोथोड़ी सी दरार से
नहीं इंकार है इस बात से।

दिल में एक टीस सी उठती है
यदि किसी को चोट पहुँचती है
मन को बेचैन कर देती है
और उसकी भलाई के लिए दुआ मांगती है।

सम्बन्ध एक बांध की तरह है
जो पानी की तरह दिल में कायम है
मिलो या ना मिलो पर याद आती है
कई वार तो मन को रुलाती है

पहाड़ तो बेजुबान है
पर दिल की जुबान समझते है
हर आवाज की गूंज वापस भेजते है
सम्बन्ध की पवित्रता की आस बंधाते है।

रहे बस ऐसे है आपकी याद
भले ही ना होता रहे संवाद
दिल से दिल जुड़ा रेहता है
हमेशा कल्याण की कामना करता रहता है।

हसमुख मेहता
आभार: मनमौर्य कला, आशीष आर्ट

सम्बन्ध.. Sambandh
Saturday, April 13, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 April 2019

रहे बस ऐसे है आपकी याद भले ही ना होता रहे संवाद दिल से दिल जुड़ा रेहता है हमेशा कल्याण की कामना करता रहता है। हसमुख मेहता आभार: मनमौर्य कला, आशीष आर्ट

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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