संसार
मंगलवार, ४ दिसम्बर २०१८
माता-पिता कभी नहीं देखते
बस सदैव हँसते रहते
बच्चा काला है या गोरा
बस उनको तो लगता अच्छा चेहरा।
बस आँगन की खुशिया हो गया
आते ही संसार बदल गया
ना धुप देखि या ना छाँव
बस लगा दिया अपना जीवन दाँव।
ऐसे माँ-बाप ने हमें बड़ा किया
पढ़ाया, लिखाया और शादी भी करवाया
हमने बचपन भी भुला दिया
उनका स्नेह विधीवत भुला दिया
एक माँ-बाप चार-चार बच्चों को बड़ा करते है
पर चार बच्चे एक माँ-बाप को नहीं पाल सकते
कई आज "बूढ़े घर" में पनाह ले रहे है
कई सडकपर भीख मांग रहे है।
कहते है माता-पिता के पाँव में स्वर्ग होता है
पर आजकल सब उलटा हो रहा है
शादी होते ही माँ-बाप जैसे काल लग रहे है
उनके की सुख में बाधा बने लगते है।
क्या उनको बद्दुआए दे?
अपना ही खून है
बस एक दस्तूर सा बना जा रहा है
हर माँ-बाप का यही हाल हो रहा है।
घर घर की कहानी है
कहीं पर अपवाद हो सकता है
पर ज्यादातर सब बोझ बने पड़े है
कभी अपनेको तो कभी उपरवाले को कोसते है।
हसमुख मेहता
घर घर की कहानी है कहीं पर अपवाद हो सकता है पर ज्यादातर सब बोझ बने पड़े है कभी अपनेको तो कभी उपरवाले को कोसते है। हसमुख मेहता
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after a long time read a beautiful poem in Hindi...enjoyed reading it dear Sir! 10