बिना देखे ऊँचाई जो पर्वत पे चढ़ जाते हैं!
घबराते नही ज़रा भी वो आगे बढ़ जाते हैं! !
गिरते तो क्योंकि सब हैं, गिरने का क्या है!
विजेता वे ही होते हैं जो गिर के संभल जाते हैं! !
परिस्थितियाँ और लोग भले कुछ करने नही देते!
मगर हौंसले उनके सपनों को मरने नही देते! !
अनसुलझी गुत्थियों के भी हल निकल जाते हैं!
विजेता वे........
कीचड़ मे कमल होते हैं, कहलाते गुदड़ी के लाल!
अपने हाथों से करते हैं, नित वो नये कमाल! !
कर्मठ हो तो लिखे हुए भी भाग्य बदल जाते हैं! !
विजेता वे.......
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