Pawan Kumar Bharti Poems

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1.
गैरत (Pudecity)

कभी उनको खून से सींचना भी पड़ता है,
नये रिश्ते यूँ ही बनाए नही जाते!
कदूरतें और जख्म कुछ मिले ही ऐसे हैं,
भूलकर भी जो कभी भुलाए नही जाते! !
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राक्षस रूप मे पहले भी, हालाँकि रहते थे उन्मादी!
आधुनिक दौर मे मगर, वो कहलाते हैं आतंकवादी! !
क्यूँ पूछते हो कि आतंकवादी का क्या मज़हब है!
कौन है उसका ईश्वर, अल्लाह, जीसस या रब है! !
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देख-देख के मुझको खुश होती थी माँ!
मुझे परेशानी हो तो हमेशा रोती थी माँ! !
उसके दिल मे मेरे लिए चाहत बहुत थी!
मुझे खुश देखके उसे, राहत बहुत थी! !
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4.

दीवाली खूब मनाना रे! !
जमकर धूम मचाना रे!
लेकिन ये भूल ना जाना रे! !
बाहर का अंधेरा भगाकर,
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5.
विजेता (Winner)

बिना देखे ऊँचाई जो पर्वत पे चढ़ जाते हैं!
घबराते नही ज़रा भी वो आगे बढ़ जाते हैं! !
गिरते तो क्योंकि सब हैं, गिरने का क्या है!
विजेता वे ही होते हैं जो गिर के संभल जाते हैं! !
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6.
फांसले (Differences)

दबे दिलों मे अब भी, कई राज भी हैं!
ग्रस्त कई रोगों से ये समाज भी है! !
यूँ तो कहने को मिट गयी हैं दूरियाँ मगर!
फांसले कल भी थे फांसले आज भी हैं! !
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जागो देश के सपूतों तुम्हारी आन ख़तरे में!
जिसका रौब दिखाते हो वो शान ख़तरे में! !
हर चीज़ पे ही जैसे पड़ गयी हो गिद्धड़ृष्टि!
लगता है जैसे सारा हिन्दुस्तान ख़तरे में! !
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8.
Hope (आशा)

जीवन में यदि रही ना आशा,
हटेंगें कैसे ये धुँध कुहासा!
उम्मीद की लौ जला के रखना,
छाई हो भले घोर निराशा! !
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9.
What I Have To Be...? (क्या बनूँ...?)

जाना नही चाहता मैं काशी, ना जाना चाहता काबा!
ना ही कोई सिद्ध स्वामी, ना बनना चाहता हूँ बाबा! !
ना कोई बड़ा चित्रकार, ना कोई साहित्यकार बनूँ!
कोई कवि भी ना बनूँ, ना कोई शिल्पकार बनूँ! !
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पहले प्रयास मे लक्ष्य तक पहुँचे मंगलयान को बधाई!
इस दुनिया के ऐसे पहले देश हिन्दुस्तान को बधाई! !
जिस जिस की शुभकामनाएँ इस अभियान से जुड़ी थी!
साँस थाम के इंतजार कर रहे हर इंसान को बधाई! !
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